टूट कर बिखर जाते हैं अक्सर मुसीबतों से,
हार कर बीच में बैठ जाते हैं मंज़िलों से,
कोई राह आसान नहीं होती
गिरती हुई बिजली खामोश नहीं होती
एक बार बंद दरवाज़े को खोल कर तो देखो,
कितने परिंदों की उड़ान बाकि है,
खुद को हौसला दे कर तो दे कर तो देखो,
अभी आसमान छूना बाकि है।।